Posts

Showing posts from October, 2019

नमः शिवाय

Image
अध्यात्म जगत में जो मंत्रों का विज्ञान बना।  मानव का धरती के आकर्षण में जीना स्वभाव है उसकी अपनी शारीरिक जरूरतों के कारण मजबूरी भी। इस जगत में शरीर में आया है  तो उसके जीवन के दो उद्देश्य हैं एक लौकिक सुख सुविधा दूसरा परमात्मा में अपनी वापसी। परमात्मा में अपनी वापसी तब तक नहीं हो सकती जब तक कि वह अपने मूल स्वरूप को ना जान जाए यानी स्वयं की बोधात्मक समझ पैदा ना हो जाए इन्हीं दो उद्देश्यों के लिए मंत्रों का विज्ञान बना पूजाओं की अनेकों अनेक विधियां इस अध्यात्म और जगत में बनी और पूजा अर्चना याचना के आयाम बने। धरती के सुख पाने वाले जो मंत्र हैं उनकी विधि और आयाम अलग है अवधि भी निर्धारित है जिस के क्रम में बहुत सारे मंत्र इस जगत में अनेकों अनेक देवताओं के अनेक अनेक मंत्र बने। हर देवता के नाम से प्रणाम और आवाहन की विधि के निमित्त एक मंत्र विज्ञान है। नमः शिवाय मंत्र विश्व की साधना आराधना की विधियों में मूल मंत्र कहा जाता है बीज मंत्र कहा जाता है। सबसे सर्वोत्तम मंत्र। कहा जाता है कहा जाता है कि नमः शिवाय में 7 हजार करोड़ मंत्रों का समावेश है। धरती का सुख कम अवधि में पाने के लिए और जाने अनजान

जीवन में गुरु की आवश्यकता

Image
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में एक आध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु का काम होता है परमात्मा से सम्बन्ध स्थापित करवा देना. हम जीवन में जो कुछ भी करते हैं- पूजा पाठ, दान पुण्य, व्रत उपवास, पढाई लिखाई या अपनी आजीविका का प्रयास, यह तब तक पूरी की पूरी सफलता नहीं देता जब तक की जीवन में कोई आध्यात्मिक गुरु न हो, क्योंकि हम जो भी करते हैं उसे भगवान तक पहुँचाने का काम गुरु ही करते हैं. हमारा मन जो सांसारिक गतिविधियों की ओर भाग रहा है उस मन को परमात्मा की ओर मोड़ देना गुरु का काम होता है. गुरु को मन का डाक्टर कहा गया है. जिस तरह से एक कुशल चिकित्सक शारीरिक रोगों को दूर करके हमें स्वस्थ बना देता है, वैसे ही एक योग्य गुरु हमारी मानसिक बीमारियों को दूर करके हमारे मन को स्वस्थ बना देता है. ये मानसिक बीमारियां हैं तनाव, कुंठा, अवसाद, निराशा आदि. आज समाज में ये बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं. इसका मूल कारण यही है की हमारे जीवन में कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं है. अगर है भी तो योग्य नहीं है. आज मनुष्य स्वयं को सर्व समर्थ समझने लगा है. परिणामतः भौतिक सुख के साधन तो हम पा जा रहे हैं, परन्तु वह हमें चैन द