नमः शिवाय
अध्यात्म जगत में जो मंत्रों का विज्ञान बना। मानव का धरती के आकर्षण में जीना स्वभाव है उसकी अपनी शारीरिक जरूरतों के कारण मजबूरी भी। इस जगत में शरीर में आया है तो उसके जीवन के दो उद्देश्य हैं एक लौकिक सुख सुविधा दूसरा परमात्मा में अपनी वापसी। परमात्मा में अपनी वापसी तब तक नहीं हो सकती जब तक कि वह अपने मूल स्वरूप को ना जान जाए यानी स्वयं की बोधात्मक समझ पैदा ना हो जाए इन्हीं दो उद्देश्यों के लिए मंत्रों का विज्ञान बना पूजाओं की अनेकों अनेक विधियां इस अध्यात्म और जगत में बनी और पूजा अर्चना याचना के आयाम बने। धरती के सुख पाने वाले जो मंत्र हैं उनकी विधि और आयाम अलग है अवधि भी निर्धारित है जिस के क्रम में बहुत सारे मंत्र इस जगत में अनेकों अनेक देवताओं के अनेक अनेक मंत्र बने। हर देवता के नाम से प्रणाम और आवाहन की विधि के निमित्त एक मंत्र विज्ञान है। नमः शिवाय मंत्र विश्व की साधना आराधना की विधियों में मूल मंत्र कहा जाता है बीज मंत्र कहा जाता है। सबसे सर्वोत्तम मंत्र। कहा जाता है कहा जाता है कि नमः शिवाय में 7 हजार करोड़ मंत्रों का समावेश है। धरती का सुख कम अवधि में पाने के लिए और जाने अनजान