शास्त्रों में शिव गुरु
शिव पुराणः शिवपुराण की रूद्र संहिता में उल्लेख मिलता है कि महादेव जी ने कहा,, विधाता, मैं जन्म और मृत्यु की भय से युक्त अशोभन जीवों की सृष्टि नहीं करूंगा ,क्योंकि वे कर्मों के अधीन हो दुख के समुद्र में डूबे रहेंगे। मैं तो दुख के सागर में डूबे हुए उन जीवों का उधार मात्र करूंगा,गूरू स्वरूप धारण करके, उत्तम ज्ञान प्रदान कर ,उन सबको संसार सागर से पार करूंगा। _______________________________________________ शिवपुराण की वायवीय संहिता में शिव के योगाचार्य होने और उनके 112 शिष्य -प्रशिष्यौं का विशद वर्णन मिलता है। ________________________________________________ पद्पुराण :पद्मपुराण मूलतः विष्णु जी पर आधारित है और उसमें शिव को जगतगुरु कहा गया है। __________________-____________________________ ब्रह्मवैवर्त पुराण: ब्रह्मवैर्वत पुराण मे ,असित मुनि द्वारा रचित शिव स्त्रोत के प्रथम सुक्त में शिव को जगतगुरु, योगियों के स्वामी और गुरुओं के गुरु भी कहा गया है।श्लोक ईस प्रकार है। जगद्गुरो नमस्तुभ्यं शिवाय शिवदाय च। योगेंद्रणां च योगिंद्र गुरुणां गुरुवे नमः।। अर्थात हे ! जगत गुरु आपको नमस्कार है ,आप श