सत्ता या शक्ति, देव या देवी।
जहां सत्ता है, वहीं शक्ति है।
जहां शक्ति है, वहीं सत्ता है।
जो पंच ज्ञानेन्द्रियों की पकड़ में नहीं आये, उसे सूक्ष्म कहते हैं।
संसार में केवल पदार्थ ही नहीं है, चेतना भी है, जिसकी इच्छाशक्ति से पदार्थ की उत्पत्ति होती है।
सूक्ष्म सत्ता को देव तथा सूक्ष्म शक्ति को देवी कहा गया है।
परम सूक्ष्म सत्ता को महादेव, देवाधिदेव, शिव इत्यादि तथा परम सूक्ष्म शक्ति को महादेवी, पराशक्ति, शिवा इत्यादि कहा गया है।
सूक्ष्म, स्थूल से अधिक शक्तिशाली होता है।
ज्यादा सूक्ष्म ज्यादा शक्तिशाली होता है।
परम सूक्ष्म सत्ता परम शक्तिशाली है।
सूक्ष्मातिसूक्ष्म परम चैतन्यात्मा को ही शिव कहा गया है, क्योंकि वह परम कल्याण करते हैं।
गुरु की दया से आदेश की प्राप्ति होती है, जिसमें बल होता है।
गुरु जितने सबल होंगे, आदेश में भी उतना ही बल होगा।
गुरु की दया अहैतुकी होती है, लेकिन किस पर?
शिष्य पर।
।।प्रणाम।।
"आइये भगवान शिव को 'अपना' गुरु बनाया जाय"...
3 सूत्रों की सहायता से:
1. दया मांगना:
"हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूँ, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिये" (मन ही मन)।
2. चर्चा करना:
दूसरों को भी यह सन्देश देना कि, "आइये भगवान शिव को 'अपना' गुरु बनाया जाय"।
3. नमन करना:
अपने गुरु को प्रणाम निवेदित करने की कोशीश करना। चाहें तो "नमः शिवाय" का प्रयोग कर सकते हैं (मन ही मन: साँस लेते समय नमः, छोड़ते समय शिवाय)।
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