इस संसार का सबसे दुखी जीव कौन है?

क्या आपने कभी सोचा है—
संसार का सबसे शक्तिशाली और सामर्थ्यवान जीव मानव ही क्यों सबसे अधिक दुखी है?

अन्य जीव केवल तब दुखी होते हैं जब वे घायल हों, बीमार हों या किसी क्षणिक कष्ट में हों।
लेकिन मनुष्य?
वह अपने जीवन का बड़ा हिस्सा मानसिक पीड़ा में जीता है—ईर्ष्या, क्रोध, प्रतिशोध, चिंता और असुरक्षा में डूबा हुआ।

❓ आखिर ऐसा क्यों है?
👉 इसका मूल कारण है अहंकार।
अहंकार से जन्म लेता है द्वेष, और द्वेष से ईर्ष्या, घृणा व शत्रुता।

लेकिन प्रश्न यह है कि अहंकार क्यों उत्पन्न होता है?
जैसे अंधकार केवल प्रकाश के अभाव से होता है, वैसे ही अहंकार ज्ञान के अभाव से उत्पन्न होता है।

आज की अधिकांश समस्याओं की जड़ यही है—
मानवीय चेतना का अधःपतन।
लोगों की समझ और संवेदना का क्षय हो जाना।

🌿 तो इसका समाधान क्या है?
जिस प्रकार गहरी खाई में गिरे वाहन को निकालने के लिए केवल रस्सी या टोचन नहीं, बल्कि शक्तिशाली क्रेन की आवश्यकता होती है,
वैसे ही चेतना के उत्थान के लिए चाहिए प्रबल गुरुत्व।

गुरु वही हो सकते हैं जिनमें गुरुत्व हो।
और ईश्वर से बड़ा गुरुत्व किसका हो सकता है?

💫 शिव गुरु की शिष्यता परिणामदायी है। यह केवल विश्वास नहीं, प्रायोगिक सत्य है।
सतही नहीं, बल्कि स्थायी समाधान के लिए, हमें समस्या की जड़—अज्ञान और अहंकार—को दूर करना होगा।

।।प्रणाम।।

✨ आइए, भगवान शिव को अपना गुरु बनाया जाए।

3 सूत्रों की सहायता से:

1. दया मांगना: 
"हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूँ, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिये" (मन ही मन)।

2. चर्चा करना: 
दूसरों को भी यह सन्देश देना कि, "आइये भगवान शिव को 'अपना' गुरु बनाया जाय"।

3. नमन करना: 
अपने गुरु को प्रणाम निवेदित करने की कोशीश करना। चाहें तो "नमः शिवाय" का प्रयोग कर सकते हैं (मन ही मन: साँस लेते समय नमः, छोड़ते समय शिवाय)

यही मार्ग है पीड़ा से मुक्ति और शाश्वत आनंद का।
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