क्या सचमुच बहुत सारी जानकारी हमें ज्ञानी बना देती है?
🌱✨ क्या सचमुच बहुत सारी जानकारी हमें ज्ञानी बना देती है?
हम अक्सर मान लेते हैं कि जिसने बहुत कुछ पढ़ लिया, बहुत कुछ याद कर लिया — वही सबसे बड़ा ज्ञानी है। लेकिन क्या यह सच है?
आपने तोता-रटंत की कहानी तो सुनी होगी।
तोता बहुत सारी बातें बोल लेता है, मंत्र तक रट लेता है — लेकिन क्या वह वास्तव में जानता है कि उसका अर्थ क्या है?
🔍 यही अंतर है वागात्मक ज्ञान (शब्दों तक सीमित ज्ञान) और बोधात्मक ज्ञान (अनुभव और समझ से उपजा ज्ञान) में।
👉 जानकारी का ढेर होना कोई गारंटी नहीं कि वह सही समय पर आपके काम आएगा।
👉 वास्तविक ज्ञान वह है, जो जीवन की परिस्थितियों में मार्गदर्शक बन सके।
👉 केवल वही बोध, वही समझ, जो भीतर उतरकर व्यवहार में प्रकट हो — सच्चा ज्ञान कहलाता है।
💡 इसलिए, ज्ञानी बनने के लिए सिर्फ़ पढ़ना, सुनना, और याद करना पर्याप्त नहीं।
अनुभव करना, आत्मसात करना और सही समय पर उसे जीवन में उतारना ही सच्चा ज्ञान है।
❓अब सवाल आपसे—
क्या आप जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं, या उसे जी भी रहे हैं?
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वागात्मक ज्ञान नहीं, बोधात्मक ज्ञान के लिए...
।।प्रणाम।।
"आइये भगवान शिव को 'अपना' गुरु बनाया जाय"...
3 सूत्रों की सहायता से:
1. दया मांगना:
"हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूँ, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिये" (मन ही मन)।
2. चर्चा करना:
दूसरों को भी यह सन्देश देना कि, "आइये भगवान शिव को 'अपना' गुरु बनाया जाय"।
3. नमन करना:
अपने गुरु को प्रणाम निवेदित करने की कोशीश करना। चाहें तो "नमः शिवाय" का प्रयोग कर सकते हैं (मन ही मन: साँस लेते समय नमः, छोड़ते समय शिवाय)
https://bit.ly/3Dnez7T
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