क्या सचमुच यह पूरी पृथ्वी किसी मायाजाल में बंधी हुई है?
🌍✨ क्या सचमुच यह पूरी पृथ्वी किसी मायाजाल में बंधी हुई है?
कभी-कभी लगता है कि सब कुछ जैसे किसी अदृश्य जादू के अधीन हो।
लोग भागते जा रहे हैं, सपनों के पीछे, इच्छाओं के पीछे, लेकिन शायद ही कोई रुककर यह देखता है कि असलियत क्या है।
🔮 कहा जाता है—
"पूरा संसार एक मायाजाल में बंधा है, और केवल कुछ जागृत आत्माएँ ही उस परदा-पर्दा सच को पहचान पाती हैं।"
सोचिए ज़रा—
👉 क्या हम अपने ही भ्रमों और मान्यताओं के कैदी नहीं हैं?
👉 क्या हम वही नहीं मान लेते जो हमें बार-बार दिखाया और सुनाया जाता है?
👉 क्या हमारी चेतना को रोज़मर्रा की चकाचौंध, लोभ और भय ने ढक नहीं रखा?
लेकिन…
जो भीतर की आँख खोल पाते हैं, वे इस मायाजाल को पार करके सत्य को देख लेते हैं। वही जागृत आत्माएँ हैं।
🪷 जागृति का अर्थ है—
सवाल पूछना,
भीड़ की अंधी दिशा में न बहना,
भीतर की शांति और सच्चाई को पहचानना।
याद रखिए:
जग संसार के भ्रम-जाल को तोड़ने के लिए किसी बाहरी चमत्कार की नहीं, बल्कि भीतर के जागरण की आवश्यकता है।
💡 तो प्रश्न यह है—
आप भीड़ का हिस्सा बने रहना चाहेंगे, या उस थोड़े से वर्ग में शामिल होना चाहेंगे जो सच को देखने का साहस रखता है?
Comments
Post a Comment