Why Namah Shivaya Only केवल नमः शिवाय क्यों
ॐ नमः शिवाय क्यों नहीं?
केवल नमः शिवाय क्यों?
मैंने कोशीश की
गुरू दया से...
गुरू दया से...
इस सवाल के कई जवाब हैं।
मन्त्र विज्ञान में जायेंगे तो बहुत लंबा हो जायेगा।
संक्षेप में मैं ये जानता हूँ कि श्वास प्रश्वास पर किये जाने वाले किसी मन्त्र में ॐ नहीं लगता है।
सबसे बड़ी बात परिणाम जिससे मिलता है वो करेंगे।
लोगवा जो कहता है करके देख लिये हैं।
हज़ारों सालों से ॐ चल रहा है, परिणाम?
लोगवा जो कहता है करके देख लिये हैं।
हज़ारों सालों से ॐ चल रहा है, परिणाम?
सारे मन्त्र कीलित (coded) हैं।
उनका उत्कीलन (decoding) करने के बाद ही वो परिणाम देता है।
उनका उत्कीलन (decoding) करने के बाद ही वो परिणाम देता है।
आप श्वास लेने समय नमः और छोड़ते समय शिवाय कर के देखिये।
आराम आराम से, गिनने की कोई जरुरत नहीं।
आराम आराम से, गिनने की कोई जरुरत नहीं।
वैसे भी ॐ तो सूक्ष्मातिसूक्ष्म स्पंदन है, जो साध्य है साधन नहीं।
शरीर या मन इसका उच्चारण नहीं कर सकता और जीवात्मा तो स्वयं ॐ कार ही है।
शरीर या मन इसका उच्चारण नहीं कर सकता और जीवात्मा तो स्वयं ॐ कार ही है।
ये एक क्लिष्ट विषय है, इस पर मिलकर ही बात हो सकती है।
वैसे भी हम शिष्यों को ज्ञान देने का नहीं, ज्ञान के परम स्रोत से जोड़ने का और जुड़ने का आदेश मिला है।
उद्देश्य मन्त्र को सिद्ध करना नहीं है।
उद्देश्य है अपने गुरू को प्रणाम करने की कोशीश करना।
और साहबश्री ने कहा है, "चाहें तो" नमः शिवाय का प्रयोग कर सकते हैं।
मेरे विचार से, अल्लाह सलाम या god salute भी चल सकता है। आप अपना मन्त्र भी बना सकते हैं।
शब्द से अधिक उद्देश्य महत्त्वपूर्ण है।
प्रणाम में भाव का प्रवेश गुरू दया से ही संभव है। गुरू को भाव जनित प्रणाम ही स्वीकार्य होता है।
गुरू से जुड़िये, स्वतः सब जान जाइयेगा।
इसके लिये, शिव-गुरु की दया से, मानव-जाति को, इस कालखंड के प्रथम शिव-शिष्य, महामानव, वरेण्य गुरु-भ्राता, साहबश्री हरीन्द्रानंद जी के माध्यम से प्रदत्त 3 सूत्र सहायक हैं।
1. दया मांगना:
"हे शिव आप मेरे गुरु हैं, मैं आपका शिष्य हूँ, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिये" (मन ही मन)
2. चर्चा करना:
दूसरों को भी यह सन्देश देना कि, "शिव मेरे गुरु हैं, आपके भी हो सकते हैं"
3. नमन करना:
अपने गुरु को प्रणाम निवेदित करने की कोशीश करना। चाहें तो नमः शिवाय का प्रयोग कर सकते हैं। (मन ही मन, सांस लेते समय नमः तथा छोड़ते समय शिवाय)
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